गीत १ : साँची करे तोरे आवन से हमरे
साँची कहे तोरे आवन से हमरे -२ , अंगना में आई बहार भौजी -२
लक्ष्मी की सूरत ममता की मूरत - २ लाखों में एक हमार भौजी -२
ए भौजी …… साँची कहे तोरे आवन से हमरे , अंगना में आई बहार भौजी ।
तुलसी की सेवा , चनरमा की पूजा -२ , कजरी जैसा अंगनवा में गूंजा
अब हमने जाना की फगुवा सिवा भी -२, होते है कितने त्यौहार भौजी -२
साँची कहे तोरे आवन से हमरे , अंगना में आई बहार भौजी ।
ये घर था भुतन का डेरा -२ , जब से भय तुमहरा पग फेरा
दुनिया बदल गयी हालत संभल गयी - २ अनधन के लगे भंडार भौजी -२
साँची कहे तोरे आवन से हमरे , अंगना में आई बहार भौजी ।
बचपन से हम काका कही कही के हारे -२ कोई हमें भी तो काका पुकारे
दई दे भतीजा फुलवा सरीखा -२ ,मानेंगे हम उपकार भौजी -२
साँची कहे तोरे आवन से हमरे , अंगना में आई बहार भौजी ।
लक्ष्मी की सूरत ममता की मूरत - २ लाखों में एक हमार भौजी -२
ए भौजी …… साँची कहे तोरे आवन से हमरे , अंगना में आई बहार भौजी ।
तुलसी की सेवा , चनरमा की पूजा -२ , कजरी जैसा अंगनवा में गूंजा
अब हमने जाना की फगुवा सिवा भी -२, होते है कितने त्यौहार भौजी -२
साँची कहे तोरे आवन से हमरे , अंगना में आई बहार भौजी ।
ये घर था भुतन का डेरा -२ , जब से भय तुमहरा पग फेरा
दुनिया बदल गयी हालत संभल गयी - २ अनधन के लगे भंडार भौजी -२
साँची कहे तोरे आवन से हमरे , अंगना में आई बहार भौजी ।
बचपन से हम काका कही कही के हारे -२ कोई हमें भी तो काका पुकारे
दई दे भतीजा फुलवा सरीखा -२ ,मानेंगे हम उपकार भौजी -२
साँची कहे तोरे आवन से हमरे , अंगना में आई बहार भौजी ।
गीत २ : कौने दिशा मा ले के चला रे बटोहिया
हो हो हो हो हो
कौन दिशामे लेके चला रे बटोहिया - ३
हे ठहर ठहर ये सुहानी सी डगर जरा देखन दे देखन दे ……
मन भरमाये नैना बांधे रे डगरिया -२
कहीं गए जो ठहर दिन जायेगा गुज़र गाड़ी हांकन रे रे। …। कौने..................
पहली बार हम निकले हैं घर से किसी अनजाने के संग हो
अनजाने से पहचान बढ़ेगी तो महक उठेगा तोरा अंग हो। .
महक से तू कही बहक न जाना -२ न करना मोहे तंग हो
तंग करने का तोसे नेता है गुजरिया -२
हे ठहर ठहर ये सुहानी सी डगर जरा देखन दे देखन दे। ..........
कितनी दूर अभी कितनी दूर है हे चन्दन तोरा गाँव हो
जितना अपन लगन लगे जब कोई बुलाये लेके नाम हो
नाम न लें तो क्या कह के बुलाएं - २ कैसे चलायें काम हो
साथी मितवा या अनाड़ी कहो गोरिया -२
कहीं गए जो ठहर। ………………………।
हे गुंजा उस दिन तोरी सखियाँ करती थीं क्या बात हो
कहती थी तोरे साथ चलन को सो आ गए हम तोरे साथ हो
साथ अधूरा तब तक जब तक -२ पुरे हो न फेरे सात हो
अबहीं तो हमरि रे बलि है उमरिया -२
हे ठहर ठहर ये सुहानी सी डगर जरा देखन दे देखन दे। ..........
गीत ३ : गुंजा रे
गुँजा रे …
गुँजा रे … चन्दन चन्दन चन्दन …
हम दोनो में दोनो खो गए
देखो एक दूसरे के हो गए
राम जाने वो घड़ी कब आएगी जब
होगा हमारा गठबँधन, गुँजा रे …
हो सोना नदी के पानी हिलोर मारे
प्रीत मनवा मा हमरी जोर मारे
है ऐसन कइसन होई गवारे, राम जाने, हो राम जाने वो …
तेरे सपनों में डूबी रहे आँखें
तेरे खुशबू से महक रही सासें -२
रंग तेरे पाँव का लग के मेरे पाँव में
कहें दिन कटेंगे रँगों की छाँव में
कहें दिन कटेंगे रँगों की छाँव में
हो, बूढ़े बरगद की माटी को सीस धर ले
दीपा सत्ती को सौ सौ प्रणाम कर ले -२
ओ देगी आसीस तो जल्दी बियाहेगी राम जाने,
राम जाने, हो वो घड़ी …
गीत ४ : जोगी जी धीरे धीरे
जोगी जी धीरे धीरे, जोगीजी वाह जोगीजी
नदी के तीरे तीरे, जोगीजी वाह जोगीजी
जोगी जी कोई ढूँढे मूँगा कोई ढूँढे मोतिया
हम ढूँढे अपनी जोगनिया को,
जोगी जी ढूँढ के ला दो, जोगीजी वाह जोगीजी
मिला दो हमें मिला दो, जोगीजी वाह जोगीजी
फागुन आयो हो ओ मस्ती लायो
भरके मारे पिचकारी सारा रार अरा र र र र रा
रंग लेके ओ जंग लेके
गावे जोगी रातें जागी सारी अरा रररर रा
जोगी जी नींद ना आवे, जोगीजी वाह जोगीजी
सजन की याद सतावे, जोगीजी वाह जोगीजी
जोगी जी प्रेम का रोग लगा हमको कोई इसकी दवा जदी हो तो कहो
बुरी है ये बीमारी, जोगीजी वाह जोगीजी
लगे है दुनिया खारी, जोगीजी वाह जोगीजी
सारे गाँव की गोरियाँ रंग गई हमपे डार
पर जिसके रंग हम रंगे छुप गई वो गुलनार
छुप गईं वो गुलनार जोगीजी सूना है सँसार -२
बिना उसे रंग लगाए, जोगी जी वह जोगी जी
ये फागुन लौट ना जाए, जोगी जी वाह जोगी जी
जोगी जी कोई ढूँढे मूंगा कोई ढूँढे मोतिया
हम ढूँढे अपनी जोगनिया
जोगी जी ढूँढ के ला दो
मिला दो हमें मिला दो
छुपते डोले राधिका ढूँढ सके घनश्याम
कान्हा बोले लाज का आज के दिन क्या काम
लाज का है क्या काम के होली खेले सारा गाँव -२
रंगी है कब से राधा
मिलन में फिर क्यों बाधा
जोगी जी प्रेम का रोग लगा हमको
कोई इसकी दवा जड़ी हो तो कहो
बुरी है ये बिमारी
जोगी जी वाह जोगी जी
लगे है दुनिया खारी
जोगी जी वाह जोगी जी
हमरी जोगन का पता उसके गहरे नैन
नैनन से घायल करे बैनन से बेचैन
देखन को वो नैन जोगी जी,मनवा है बेचैन -२
लड़कपन जाने को है
जोगी जी वाह जोगी जी
जवानी आने को है
जोगी जी वाह जोगी जी
जोगी जी कोई ढूँढे मूंगा कोई ढूँढे मोतिया
हम ढूँढे अपनी जोगनिया
जोगी जी ढूँढ के ला दो
मिला दो हमें मिला दो
जो तेरा प्रेम है सच्चा
जोगी जी वाह जोगी जी
जोगनिया मिलेगी बच्चा
जोगी जी वाह जोगी जी
जंतर मंतर टोटका
गले में आ ताबीज
जी को बस में कर सके
दे दो ऐसी चीज़
जोगी जी साजन जाए रीझ
दे दो ऐसी चीज़
जोगी जी साजन जाए रीझ
हमारे पीछे पीछे
जोगी जी वाह जोगी जी
चले वो आखें मीचे
जोगी जी वाह जोगी जी
जोगी जी प्रेम का रोग लगा हमको…..
गीत ५ : जब तक पूरे न हों फेरे सात
जब तक पूरे ना हों फेरे सात -२
तब तक दुल्हन नहीं दुल्हा की
रे तब तक बबुनी नहीं बबुवा की, ना, जब तक ...
अबहीं त बबुआ पहली ही भंवर पड़ी है
अबही त पहुना दिल्ली दूर बड़ी है
हो पहली भंवर पड़ी है दिल्ली दूर बड़ी है
करनी होगी तपस्या साडर रात
जब तक पूरे ना ...
जैसे जैसे भँवर पड़े मन अपनों को छोड़े
एक एक भाँवर नाता अन्जानों से जोड़े
मन घर अंगना को छोड़े, अन्जानों से नाता जोड़े
सुख की बदरी आँसू की बरसात, जब तक पूरे ना ...
बबुआ हो बबुआ पहुना हो पहुना
सात फेरे करो बबुआ भरो सात बचन भी
ऐसे कन्या कैसे अर्पण कर दे तन भी मन भी -२
उठा उठा बबुनी देखो देखो ध्रुव तारा
ध्रुव तारे सा, हो अमर सुहाग तिहारा
हो देखो देखो ध्रुव तारा, अमर सुहाग तिहारा
सातों फेरे सात जन्मो का साथ
जब तक ......
सात फेरे करो बबुआ भरो सात बचन भी
ऐसे कन्या कैसे अर्पण कर दे तन भी मन भी -२
उठा उठा बबुनी देखो देखो ध्रुव तारा
ध्रुव तारे सा, हो अमर सुहाग तिहारा
हो देखो देखो ध्रुव तारा, अमर सुहाग तिहारा
सातों फेरे सात जन्मो का साथ
जब तक ......
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